सूर्य नमस्कार आसन क्या है! यह कब?, क्यों? और कैसे किया जाता है?, जानिए संपूर्ण जानकारी

सूर्य नमस्कार श्लोक

Surya Namaskar Shlok

भगवान सूर्य नारायण की कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए हमारे शास्त्रों में कई श्लोक है। उन्हीं में से ये श्लोक, जिसका सूर्य आराधना में हम इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे सूर्य नमस्कार से पहले हम सूर्य नारायण के लिए यह श्लोक बोल सकते हैं।

आदि देव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर दर्शनम।।

अर्थ – है आदिदेव सूर्य नारायण, आपको प्रणाम करता हूँ। हे भास्कर आप मुझ पर प्रसन्न हों। हे दिवाकर, हे प्रभाकर मैं आपको प्रणाम करता हूँ।

आदित्यस्य नमस्कारान ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्य तेजस्तेषां च जायते।।

अर्थ – जो मानव प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते है, उनका आयुष्य (आयु), प्रज्ञा (रौशनी), बल, वीर्य एवं तेजस्विता (तेज) बढ़ती है। साथ में हमारी त्वचा से जुड़े रोग दूर होते है।

सूर्य नमस्कार का मंत्र

Surya Namaskar Mantra

सनातन हिन्दू संस्कृति में किसी भी मंत्र का विशेष महत्व है। मंत्र के दोनों शब्दों (मं+त्र) को अलग किया जाये तो, मन का अर्थ मनन होता है। और त्र का अर्थ शक्ति होता है। मन की शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाने वाला जाप इसे मंत्र कहते है। सूर्य नमस्कार सिर्फ व्यायाम नहीं है। ये एक साधना पद्धति भी है। सूर्य नमस्कार मंत्र से हम भगवान सूर्य नारायण की आराधना कर सकते है। सूर्य नमस्कार आसन के दौरान बोले जाने वाले मंत्र से हमारी भावना जुड़ी होती है। इसके भाव और भक्ति से हमें शक्ति मिलती है। भगवान सूर्य नारायण के अनेक उपकार इस सृष्टि पर है। और सूर्य भगवान को प्रत्यक्ष देव माना जाता है। सूर्य नमस्कार के दौरान सूर्य नमस्कार मंत्र का उच्चारण अनिवार्य है।

सूर्य नमस्कार के मंत्र –

  • ॐ मित्राय नमः।
  • ॐ रवये नाम:।
  • ॐ सूर्याय नमः।
  • ॐ भानवे नमः।
  • ॐ खगाय नमः।
  • ॐ पूष्णे नमः।
  • ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
  • ॐ मरीचये नमः। (वा, मरीचिने नम: – मरीचिन् यह सूर्य का एक नाम है)
  • ॐ आदित्याय नमः।
  • ॐ सवित्रे नमः।
  • ॐ अकाय नमः।
  • ॐ भास्कराय नमः।
  • ॐ सवितृ सूर्यनारायण नमः।

सूर्य नमस्कार योगासनों का राजा है। योग के उत्तम 12 आसनों की एक माला है। वजन कम करना हो, वजन बढ़ाना हो, निरोगी रहना हो, जवान रहना हो, आयुष्य लम्बा रखना हो, तो हमें ये माला का जाप करना चाहिए।

सूर्य नमस्कार के सुझाव

Surya Namaskar Tips

  • सूर्य नमस्कार की शुरुआत करने से पहले सभी आसन एवं मंत्र का अभ्यास कर लेना चाहिए। यदि हमें इस आसन की सही जानकारी होगी तो हम अच्छी तरह से कर पाएंगे।
  • सूर्य नमस्कार सूर्योदय पश्चात् सूर्य नारायण के सुबह के किरणों में किया जाये तो उत्तम है। सुबह के सूर्य किरण कोमल एवं ऊर्जावान और हमारे स्वाथ्य के लिए अति लाभदायी है।
  • सूर्य नमस्कार के आसन की शुरुआत करने से पहले हल्का व्यायाम (warm up) करें।
  • सूर्य नमस्कार आसन के दौरान अपना चेहरा सूर्य देवता की तरफ रखना चाहिए।
  • सूर्य नमस्कार करने से पहले हमारा पेट खाली होना जरुरी है। भोजन के बाद एवं पानी का सेवन करके सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • सूर्य नमस्कार के दौरान ढीले और आरामदायक कपड़ें ही पहनें। जो व्यायाम में डिस्टर्ब न करे।
  • सूर्य नमस्कार के आसन घास (लॉन) पर करें या जमीन है तो आसन बिछाकर करें।
  • सूर्य नमस्कार शरीर एवं मन दोनों की कसरत है। मन को एकाग्र रखने का प्रयास करें।
  • सूर्य नमस्कार करने के बाद थोड़ी देर आराम करे या थोड़ी देर शवासन की मुद्रा में रहे।
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Surya Namaskar Asan

सूर्य नमस्कार के आसन

Surya Namaskar Asan

सूर्य नमस्कार योगासनों का समूह है। योग का कोई भी एक आसन विशिष्ट पद्धति से विशिष्ट लाभ के लिए किया जाता है। यहाँ प्रक्रिया एक ही है, पर आसान एक से अधिक है। सूर्य नमस्कार आसन 12 आसनों का समूह है। एक सूर्य नमस्कार में हम कुल 12 योग के आसन करते है। सूर्य नमस्कार के आसन के दौरान दोनों पैरों का बारी-बारी से इस्तेमाल होता है। यदि हम पहले दाहिने पैर से शुरुआत करें तो इसमें 12 आसन किये जाते है। एक पैर से 12 आसन करने के बाद हम आधी मंज़िल तक पहुंचते है।

एक सूर्य नमस्कार को पूर्ण करने के लिए हमें दाहिने के बाद बायें पैर का उपयोग करके 12 आसन करना होता है। हम दोनों पैर का उपयोग करके 12 -12 आसन करते है, तब एक सूर्य नमस्कार आसन का एक राउंड पूर्ण होता है। सूर्य नमस्कार के दौरान किये जाने वाले 12 आसनों के नाम नीचे दिये गए है। सभी आसनों का अलग महत्व है। सभी आसनों का महत्व भी जानना जरुरी है। सूर्य नमस्कार के सभी आसनों को क्रमबद्ध तरीके से करना जरुरी है। इसे हम आमतौर पर किया जाने वाला व्यायाम समझने की भूल न करें। सूर्य नमस्कार आसन हमारे ऋषि मुनियो द्वारा दी गयी अनमोल भेंट है।

सूर्य नमस्कार के 12 आसन

सूर्य नमस्कार में स्टेप्स का बहुत महत्व है। एक सूर्य नमस्कार आसन में 12 स्टेप्स होते है। कौन सा स्टेप्स कब करना है ? और कैसे करना है ? ये जानना बहुत जरुरी है। सही पद्धति से सभी स्टेप्स किया जाये तो इसका लाभ भी अच्छा रहता है। नीचे सूर्य नमस्कार की हर स्टेप्स (Surya Namaskar Poses) को बताया गया है। यहाँ से आप सभी Surya Namaskar Steps की विस्तार से जानकारी ले सकते हैं।

Sr.
No.
Asan Surya Namaskar Asan
in Hindi
Asan Surya Namaskar Asan
in English
1प्रणाम आसनPranamasana – The Prayer Pose
2हस्तउत्तानासन आसनHasta Uttanasana – Raised Arms Pose
3हस्तपाद आसन या पाद-हस्तानासन आसानPadahastasana – Standing Forward Bend
4अश्व संचालन आसनAshwa Sanchalanasana – Equestrian Pose
5दंडासनDandasana – Staff (Stick) Pose
6अष्टांग आसन (नमस्कार)Ashtanga Namaskara – Eight Limbed pose or Caterpillar Pose
7भुजंगासन आसनBhujangasana – Cobra Pose
8पर्वत आसनParvat Aasan – Mountain Pose
9अश्व संचालन आसनAshwa Sanchalan Asana – Equestrian Pose
10हस्तपाद आसनHastapadasana – Standing Forward Bend (Hand to Foot Pose)
11हस्तउत्थान आसनHasta Uttanasana – Raised Arms Pose
12प्रणाम मुद्रा (ताड़ासन)Pranamasana – The Prayer Pose (Mountain Pose)

1- प्रणाम आसन
सूर्य नमस्कार स्टेप्स में सबसे पहला आसन प्रणाम आसन है। प्रणाम आसन करने के लिए सबसे पहले हमें एक साफ सुथरी जगह पसंद करके या बिछाना लगाकर खड़े हो जाना है। सूर्य नमस्कार आसन की शुरुआत के लिए मानसिक एवं शारीरिक तौर पर हमें तैयार होना है। हमारे दोनों पैर एक साथ एक लाइन में जोड़कर खड़े रहना है। शरीर को ढीला रखें, मन को एकाग्र करने का प्रयास करें। हमारे हाथ दोनों बाजु को ऊपर की तरफ उठाये और साँस अंदर लेते हुए सिर के ऊपर दोनों हाथो को एकत्र करें। अब दोनों हाथो के पंजे को एकत्र करें। इसके बाद साँस छोड़ते हुए दोनों हाथ अपनी छाती के सामने ले आएं। यह पोजीशन नमस्कार की बनती है। इसे Surya Namaskar Asan का पहला स्टेप्स प्रणाम आसन कहते हैं।

2- हस्त उत्तानासन
हस्त उत्तानासन एक संस्कृत शब्द है। इसका अर्थ हाथ को ऊपर की तरफ उठाने वाला आसन होता है। ये आसन सूर्य नमस्कार आसन में दूसरे नंबर का आसन है। ये आसन की शुरुआत प्रणाम आसन के बाद होती है। प्रणाम आसन के बाद गहरा साँस लेते हुए दोनों हाथो को ऊपर की तरफ ले जाना है। हाथो को धड़ से पीछे की तरफ ले जाकर C आकर का कर्व बनाएं। हस्त उत्तानासन हमारे हाथ पैर, शरीर के ऊपर के हिस्से को असर करता है। छाती चौड़ी होती है। पीछे के मसल्स मजबूत होते है और पेट के स्नायु का झुकाव होता है।

3- हस्तपाद आसन या पाद-हस्तानासन आसान
पाद हस्तासन को उत्तानासन भी कहा जाता है। उत्तानासन संस्कृत शब्द है उसका का अर्थ जोर से खिचाव होता है। सूर्य नमस्कार के तीसरे आसन में हस्त उत्तानासन से पाद हस्तासन की तरफ जाना है। इसमें साँस अंदर की तरफ खींचते हुए अपने दोनों हाथ को नीचे की तरफ लाना है। नीचे की तरफ झुकते हुए हो सके तो अपने हाथ के पंजे पैर के पंजो के समांतर में ले जाएं। यहाँ दर्द होने की संभावना रहती है। इसीलिए आप जहां तक कम्फर्ट समझो वहीं तक जाओ। सूर्य नमस्कार आसन के इस स्टेप में पैर से लेकर सिर तक पूरा हिस्सा प्रभावित होता है। पैर में घुटने की पीछे की नसें, पीठ का हिस्सा, गर्दन और मस्तिष्क सभी हिस्से प्रभावित होते है। सूर्य नमस्कार स्टेप्स करने में ये स्टेप्स लोगो को सबसे कठिन लगता है। ये स्टेप्स करने में घुटने की पीछे की नसों का खिचाव होता है।

4- अश्व संचालन आसन
अश्व संचालन आसन का अर्थ है, घुड़सवार आसन। इस आसन को करते समय हमारी स्थिती घुडसवार की बन जाती है। पाद हस्तासन से आगे बढ़ते हुए अपने दोनों पैर में से एक को आगे ले जाना है। हमारी जांघ और पिंडी के बीच में 90 ‘ का एंगल बनाना जरुरी है। हमारा घुटना हमारी दाढ़ी के नीचे आएगा और हमारा सिर ऊपर की तरफ ले जाना है। गर्दन को मोड़ना है। हमारे दोनों हाथो को पैर के समान्तर रखना है। ये आसन हमारे हदय और फेफड़ो की क्षमता बढ़ाता है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है। हमारे स्किन की चमक बढ़ती है और शरीर का लचीलापन बढ़ता है। सूर्य नमस्कार स्टेप्स के दौरान किसी भी आसन में खुद पर ज्यादा दबाव न बनाये। हमारी रोज की प्रैक्टिस से ही हमारे शरीर को सुडोल बना सकते हैं।

5 – दंडासन
सूर्य नमस्कार आसन का ये पाँचवा स्टेप्स है। इसमें अश्व संचालन की मुद्रा के बाद दंडासन की मुद्रा में जाना है। दंडासन में दोनों पैर पीछे ले जाना है। हमारे दोनों हाथ समांतर में है, ठीक उसी तरह दोनों पैर समांतर में रखना है। हमारे शरीर को सीधा रखे। दंड का व्यायाम आमतौर पर युवाओं द्वारा ज्यादा किया जाता है। ये सूर्य नमस्कार के 12 आसन में से एक मुद्रा है।

6 – अष्टांग आसन
अष्टांग आसन में शरीर के आठ भाग धरती को छूते हैं, इसीलिए इसे अष्टांग आसन कहते है। दंडासन से अष्टांग आसन की और जाने के लिए सबसे पहले अपने घुटने को धीरे धीरे धरती की और ले जाएं। इसके बाद अपने मुँह और छाती को जमीन की और ले जाएं। हमारे दो पैर के पंजे, दो हाथ, दो घुटने, छाती एवं ठुड्डी को मिलाकर आठ भाग भूमि को स्पर्श करता है। ये आसन हमारे हाथ, पैर, बाहें, हथेलियां, घुटने एवं हिप्स को मजबूत करता है। वैदिक संस्कृति में यह आसान अपने गुरु एवं आराध्य देव को प्रणाम करने के लिए भी किया जाता था।

Surya Namaskar Asan
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7 – भुजंग आसन
भुजंग आसन सूर्य नमस्कार आसन का सातवां आसन है। ये आसन खाली पेट ही करना चाहिए। 15 से 30 सेकंड तक यह आसन करने की अवधि है। ये आसन अष्टांग आसन के बाद का आसन है। इसलिए हमें अष्टांग आसन से भुजंग आसन की तरफ मोड़ना है। इसमें हाथ को सीधा करें और सिर को ऊपर की तरफ ले जाएं। इसमें शरीर का पूरा वजन हथेलियों पर आएगा। छाती को ऊपर ले जाना है। पेट और जांघ को जमीन के साथ रखना है। दोनों पैरो को साथ में रखना है। इस आसन में हमारी मुद्रा कोब्रा की तरह होती है। इस आसन से पांचन तंत्र मजबूत होता है। कमर के निचले हिस्से की स्ट्रेंथ बढ़ती है। अस्थमा एवं साइटिका जैसी बीमारी में राहत मिलती है। हदय की नसों को खोलने में मदद मिलती है और रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है।

8 – पर्वतासन
सूर्य नमस्कार आसन में भुजंग आसान के बाद का आसन पर्वतासन है। भुजंग आसान के दौरान हमारा सिर ऊपर की तरफ था, उसे नीचे की तरफ लेना है। हाथ सीधा रखना है और हमारे शरीर के बीच का हिस्सा ऊपर की तरफ ले जाना है। इस आसान में हमारे शरीर से पर्वत का आकर निर्माण होता है। इसीलिए इसे पर्वतासन कहते है। इस आसान को हम 1 से 3 मिनिट तक कर सकते है। पैर की एड़िया को जमीन पर रखने की कोशिश करें। इससे नसों का खिचाव होगा, पर धीरे धीरे आदत बन जाएगी। पर्वतासन हमारे पेट एवं कमर के हिस्से की चर्बी कम करता है। पैर मजबूत होते है, और फेफड़ो की कार्यक्षमता अच्छी रहती है।

9 – अश्वसंचालन आसन
अश्वसंचालन आसान हम चार नंबर पर कर चुके है। सूर्य नमस्कार आसन में यह आसन रिपीट होता है। यहां पर्वतासन से अश्वसंचान की तरफ जाना है। श्वास को अंदर की तरफ खींचना है। जो पैर हम ने चार नंबर के आसान के समय इस्तेमाल किया था, वही पैर का इस्तेमाल करना है। पीछे से पैर को अपनी मुँह के सामने लाना है। और घुटने को 90 का एंगल बनाना है। हाथ को सीधा रखना है। मुँह को ऊपर ले जाना है। घोड़े सवारी का पोज़ बनाना है।

10 – हस्तपादासन
यहां अश्वसंचालन से हस्तपादासन की तरफ जाना है। सूर्य नमस्कार आसन में यह 10वाँ आसन है। दोनों पैर को समांतर में रखना है। अपने आप को नीचे की तरफ मोड़ना है। दोनों पैर को सीधा रखना है। सिर को दोनों पैर के बीच में घुटने तक ले जाना है। सूर्य नमस्कार में 03 नंबर और 10 नंबर का यह आसान अत्यंत लाभदायी है। इसमें पृष्ठ भाग की मासपेशियो की खिचाव होता है। रीड की हड्डी मजबूत होती है।

11- हस्तउत्थान आसन
सूर्य नमस्कार स्टेप्स में 12 आसन होता है। हस्त उत्थान आसन 2 और 11 का आसन है। यहाँ हमें हस्तपादासन से हस्तउत्थान आसन की तरफ बढ़ना है। हमें सीधे खड़े होकर श्वास को अंदर लेते हुए हाथ को ऊपर की तरफ ले जाना है। अपने शरीर को कमर से पीछे की तरफ मोड़ना है। नियमित करने से इस आसन के अनेक लाभ है। इससे रीढ़ की हड्डी, पैर की मास्पेशियाँ, पेट की चर्बी दूर होती है।

12 – प्रणाम मुद्रा (ताड़ासन)
ताड़ासन (तड़ासन) सूर्य नमस्कार आसन का ये आखरी स्टेप्स है। हस्त उत्तानासन से ताड़ासन में जाने की प्रक्रिया आसान है। पीछे की तरफ से थोड़ा आगे स्ट्रैट रहना है। हमारे दोनों पैर समान्तर रहना चाहिए और इसके बीच मे थोड़ी गैप रहनी चाहिए। दोनों हाथ ऊपर से जोड़ देना है। ताड़ासन हाथ की नसे, पैर, रीड की हड्डी को मजबूत करता है। ताड़ासन के बाद हम सूर्य नमस्कार के बीच में पहुंच जाते है। एक सूर्य नमस्कार पूर्ण करने के लिए कुल मिलाकर 24 आसन किया जाता है। यह आसान से शारीरिक एवं मानसिक संतुलन विकसित होता है।

Surya Namaskar Asan
Surya Namaskar Asan

इन बातों का रखें ध्यान

सूर्य नमस्कार आसन के साथ साधना भी है और एक व्यायाम भी है। ये हमें मानसिक एवं शारीरिक स्वस्थता प्रदान करता है। आज देश और दुनिया में लाखो लोग सूर्य नमस्कार करते है। सूर्य नमस्कार हम शरीर एवं मन के स्वास्थ्य के लिए करते हैं। पर कई परिस्थितियां ऐसी है कि, जिसमें सूर्य नमस्कार में ध्यान न दिया जाये तो ये हमें लाभ की जगह नुकसान कर सकता है। सूर्य नमस्कार करने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है।

1 – भूखे पेट सूर्य नमस्कार करना चाहिए
सूर्य नमस्कार करने से पहले ध्यान रहे की हमें यह भूखे पेट करना है। हमें कुछ खाना खाकर या पानी पीकर सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। इसे हमारे पांचन तंत्र पर ख़राब असर पड़ सकता है। खाना खाने के बाद हमारी पाचन क्रिया स्टार्ट हो जाती है। हमारा सबसे ज्यादा एनर्जी वहां खर्च होती है। ऐसे में हमारी शारीरिक कसरत शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को असर करता है। दूसरा खाने के बाद शारीरिक श्रम करना, आसन करना, योग करना अनुचित है । क्योंकि हमारा शरीर ही इसके लिए तैयार नहीं होता। यदि हम यह करेंगे तो, हम पूर्ण उत्साह के साथ नहीं कर पाएंगे। इसीलिए हमें खाली पेट करना चाहिए।

2- सूर्य नमस्कार प्रक्रिया के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए
जब हम सूर्य नमस्कार करते है, तो एक तरह से पूरा शरीर श्रम करता है। हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। हमारे ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ जाता है। एक तरह से ये हमारे शरीर में शक्ति सिंचन की प्रक्रिया है। पीने का पानी का तापमान कम होता है। यदि सूर्य नमस्कार के बीच मे हम पानी का सेवन करते हैं, तो यह पानी हमारे शरीर के तापमान को डाउन कर देता है। सूर्य नमस्कार प्रक्रिया (Surya Namaskar Steps) के द्वारा जिस एनर्जी संचालन की प्रक्रिया होती है, उसे यह विपरीत दिशा में ले जाता है। इसीलिए सूर्य नमस्कार के दौरान हमें पानी पीने से परहेज करना चाहिए।

3- सूर्य नमस्कार आसन जल्दी-जल्दी नहीं करना है।
सूर्य नमस्कार करने की एक पद्धति है। इसके सभी स्टेप्स एक सिस्टम के तहत होने चाहिए। सूर्य नमस्कार के 12 आसान है। सभी आसनों को पर्याप्त समय मिलना चाहिए। कई बार बहुत ज्यादा सूर्य नमस्कार करने के चक्कर में हम सभी आसनों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। तो कई बार समय की कमी के चलते Surya Namskar Steps जल्दी-जल्दी करने लगते है। कई बार लोग झटके मार कर जल्दी-जल्दी सूर्य नमस्कार करते हैं। सूर्य नमस्कार व्यायाम एक साधना है, इसे जल्दबाजी में करने से न हम साधना कर पाते है और नहीं व्यायाम। जल्दबाजी में करने से लाभ से ज्यादा नुकसान है। इसीलिए हमें सूर्य नमस्कार योग पर्याप्त समय देकर करना चाहिए।

4- सूर्य नमस्कार स्टेप की संपूर्ण जानकारी होना जरुरी है।
अधूरा ज्ञान कहीं पर भी मुसीबत खड़ी कर सकता है। यहाँ हम सूर्य नमस्कार की बात कर रहे है, जो हमारे तन और मन को स्वस्थ रखता है। मानसिक एवं शारीरिक स्थिति को मजबूती प्रदान करता है। पर यदि इसे सही तरीके से न किया जाये तो हम अपने शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकते है। सूर्य नमस्कार स्टेप्स आज सोशल मीडिया पर उपलब्ध है। सूर्य नमस्कार से जुड़ी संपूर्ण जानकारी आपको यू टब से भी मिल सकती है। जिसमे सूर्य नमस्कार के 12 steps कैसे किया जाता है, इसकी संपूर्ण जानकारी होती है। सूर्य नमस्कार का हर एक आसान का विशेष महत्व और लाभ है। भगवान सूर्य नारायण की साधना के नजरिये से सूर्य नमस्कार मंत्र को जानना जरुरी है। और शरीर की पुष्ट के लिए 12 आसान जानना जरुरी है। सूर्य नमस्कार के सही लाभ के लिए हमें सम्पूर्ण जानकारी के साथ करना चाहिए। सूर्य नमस्कार सिर्फ व्यायाम नहीं है, पर भगवान सूर्य नारायण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक जरिया है। जो अपने तन और मन को स्वस्थ रखता है और भगवान में विश्वास पैदा करता है।

5- अनियमित सूर्य नमस्कार कर सकता है नुकसान
किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सिद्धि के लिए निरंतर और नित्य प्रयास जरुरी होते है। हमारी नियमितता ही हमें मंज़िल तक पहुंचा सकता है। नित्य और नियमित साधना एक तप बन जाता है। किसी भी कार्य में अनियमितता हमें लाभ नहीं पहुँचता, बल का नुकसान कर सकता है। यदि हम नित्य सूर्य नमस्कार करते हैं तो, हमारा शरीर और मन एक गति से मजबूती की तरफ बढ़ता है। हमारे शरीर को आदत हो जाती है। पर यदि हम इसे नियमित नहीं करते तो कही न कही हम अपने आप को नुकसान पहुंचाते है। व्यायाम में यदि ब्रेक लगता है तो शरीर ढीला हो जाता है और शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी नहीं रहती। जब फिरसे स्टार्ट करते है तो हमारे मसल्स और शरीर दर्द करने लगते है। Surya Namaskar Benifit के लिए हमें ये नियमित करना चाहिए।

6- हमारी क्षमता के अनुसार सूर्य नमस्कार करे
मनुष्य का मन चंचल होता है। कई बार हम आवेश में आकर कोई भी काम हमारी क्षमता से ऊपर कर देते है। बाद मे उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। सूर्य नमस्कार के आसन हमें शारीरिक स्वस्थता प्रदान करता है। सूर्य नमस्कार स्टेप्स हमारे पूरे शरीर के स्नायु को असर करता है। इसलिए इसकी शुरुआत कम से करनी चाहिए और धीरे धीरे इसकी संख्या बढ़ाना चाहिए। शुरुआत में हमारा शरीर दर्द कर सकता है, पर रोजाना की क्रिया में शामिल होने के बाद ये नित्यक्रम बन जाता है। शुरुआत में सूर्य नमस्कार के लाभ सुनकर कई लोग आवेश में आ जाते है। इसे शरीर की क्षमता के ऊपर जाकर करते हैं। जिससे यह हमारे शरीर के लिए नुकसान कारक साबित हो सकता है। और बीमार भी कर सकती है।

7- सूर्य नमस्कार के दौरान श्वासो श्वास की प्रक्रिया पर ध्यान दे ।
सूर्य नमस्कार में श्वास की क्रिया का बहुत महत्व है। गहरी सांस लेना और छोड़ना ये योग की प्रक्रिया है। इससे शरीर के अंदर की मांसपेशिया प्रभावित होती है। लम्बे श्वास के दौरान शुद्ध ऑक्सीज़न शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचता है। और स्वास निकलते समय कार्बन डायोक्साइड बाहर निकलता है। सूर्य नमस्कार आसन के दौरान इस प्रक्रिया से हमारा मन एकाग्र रहता है। शांति की अनुभूति करता है। इसलिए कब श्वास को अंदर लेना है, कब बाहर निकालना है, इसे अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। और इसी प्रकार से सूर्य नमस्कार आसन की श्वास की प्रक्रिया करनी चाहिए।

सूर्य नमस्कार के लाभ

Benefits Of Surya Namaskar

सूर्य नमस्कार एक नित्य नियमित किया जाने वाला व्यायाम है। ये हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रदान करता है। सूर्य नमस्कार से दौरान श्वासो की क्रिया हमारे शरीर को बेहतर बनाती है। सूर्य नमस्कार के 12 आसान से हमारी पेट की मासपेसियां मजबूत होती है। इसे नित्य और निरंतर किया जाये तो पेट का मोटापा दूर होता है और चर्बी कम होती है। सूर्य नमस्कार के 12 स्टेप्स में पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है। इससे पूरा शरीर लचीला एवं कोमल बनता है। सूर्य नमस्कार के व्यायाम से बुढ़ापा जल्दी नहीं आता। रोजाना जीवन में सूर्य नमस्कार हमें लम्बे समय तक जवान रखता है। इसको करने से हमारा शरीर स्फुर्तीला रहता है। बढ़ा हुआ वजन कम करने में सूर्य नमस्कार रामबाण इलाज है। नियमित रूप से सूर्य नमस्कार किया जाये तो हम आसानी से वजन कम कर सकते है।

स्त्रियों के लिए के लिए सूर्य नमस्कार विशेष लाभदायी होता है। मासिक धर्म में अनियमितता या दर्द सूर्य नमस्कार से दूर होता है। निरंतर करने से संतान को जन्म देते समय का दर्द कम होता है। सूर्य नमस्कार से हमारे फेफड़े मजबूत होते है। सूर्य नमस्कार के दौरान स्वसन क्रिया की एक पद्धति है। इस पद्धति से श्वास लेना छोड़ना ये सूर्य नमस्कार का हिस्सा है। इससे स्वच्छ ऑक्सीज़न मिलता है और कार्बन डाईऑक्साइड बाहर निकलता है। पेट से जुड़ी समस्या जैसे अपच, कब्ज दूर होती है। सूर्य नमस्कार से पांचन तंत्र मजबूत बनता है। शांत चित एवं एकाग्रता से सूर्य नमस्कार हमारी स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। हमारे तन और मन को प्रफुलित रखता है। सूर्य नमस्कार रूपी योग हमारे हदय, त्वचा, लीवर, गला एवं पीठ की हड्डी सभी को असर करता है और इसे स्वस्थ एवं मजबूत रखता है।

Surya Namaskar Asan
Surya Namaskar Asan

किसे नहीं करना चाहिए

सूर्य नमस्कार 12 असानो की योग पद्धति है। इससे शारीरिक एवं मानसिक दोनों तरह के व्यायाम होते है। इसे हमारे शरीर एवं हमारी मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है। तो आइए जानते हैं सूर्य नमस्कार किस हालात में नहीं करना चाहिए, किसे परहेज करना चाहिए।

  • सूर्य नमस्कार एक शारीरिक व्यायाम है। इसे करने के लिए हमारा शरीर स्वस्थ होना चाहिए। हम बीमार है या तबियत ठीक नहीं है तो सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • प्रेगनेंसी के तीन महीने के बाद सूर्य नमस्कार के योग करना ठीक नहीं है क्योंकि सूर्य नमस्कार में पेट से जुड़ी कसरत की जाती है। जो पेट में पल रहे बालक के लिए ठीक नहीं है।
  • ब्लड प्रेसर से जुड़ी समस्या है तो सूर्य नमस्कार करने से पहले डॉक्टर की राय लेना जरुरी है। शारीरिक कसरत हमारे BP को बढ़ाता है। इसीलिए इससे जुड़ी समस्या है तो सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • हमारी हाथ की कलाई में या हाथ में कोई प्रॉब्लम है तो, ऐसे वक्त सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। क्योंकि हमारे सम्पूर्ण शरीर का वजन हमारे हाथ पर रहता है, ऐसे में हमारी समस्या बढ़ सकती है।
  • मासिक धर्म के दौरान सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए क्योंकि यह एक उपासना भी है और ऐसी स्थिति में स्त्रियों को आराम करने की सलाह दी जाती है।
  • हमारे शरीर में किसी तरह की इंजरी या पीठ दर्द है तो, डॉक्टर की सलाह के बिना सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • हदय सम्बन्धी कोई बीमारी है तो, सूर्य नमस्कार करने से पहले डॉक्टर या फिर योग शिक्षक की सलाह जरूर लें क्योंकि हदय की गंभीर बीमारियां शारीरिक कसरत में परेशानी पैदा करती है।

सूर्य नमस्कार खाली पेट किया जाता है। हम रोज जिम (व्यायाम शाला) में जाते हुए बहुत लोगो को देखते है। व्यायाम के महंगे सामान मंगवाते है। पैसे देकर व्यायाम करते है। इन सबमे सबसे उत्तम सूर्य नमस्कार है।

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