UNKNOW FACT: यदि आप Jeans नहीं पहनते हैं, तो इसे बेहतर पहनें, बहुत कम धोएं! क्यों?

Yadi aap jeans pehante hai toh iss behtar samaj le

चूंकि मनुष्य स्वयं प्रकृति का हिस्सा है, इसलिए उसके स्वभाव के अधिकांश पहलू प्रकृति से जुड़े हुए हैं। खाना, पीना, पहनना और रहना सभी का संबंध पर्यावरण से सीधे तौर पर है. इसलिए, आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि आप क्या पहन (Clothing & Fashion) रहे हैं.

आपको यह भी देखना चाहिए कि पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले लोग कैसे बहुत अच्छी तरह से काम करते हैं, वे किस तरह के फैशन की वकालत करते हैं । जिज्ञासा यह होनी चाहिए कि आपके कार्य पर्यावरण को किस क्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।

यहां से आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आप क्या पहन रहे हैं। क्या आप जींस पहनते हैं? आधी से ज्यादा दुनिया को नीली या किसी अन्य रंग की डेनिम जींस पहनने का शौक है, लेकिन इस बात से अनजान हैं कि इस जीन के सूक्ष्म कण नदियों, झीलों या समुद्रों को मिलते और नुकसान पहुंचाते हैं।

जी हां, नए शोध से पता चला है कि जब जीन धुल जाते हैं तो उसमें से माइक्रो फाइबर निकलते हैं और गंदे पानी से बहते हैं। हालांकि अभी तक शोध में यह पता नहीं चला है कि यह वन्यजीवों और पर्यावरण को कैसे नुकसान पहुंचाता है, चिंताएं जताई गई हैं ।

कहा जाता है कि भले ही डेनिम कॉटन से बना हो, लेकिन इसमें माइक्रोफाइबर समेत कई तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है।

कैसे फैलता है प्रदूषण?

जींस को कभी धोया जाता है ये रेशेदार माइक्रोफाइबर हर बार निकलते हैं और गंदे पानी के साथ नदियों, झीलों या अन्य जल स्रोतों तक पहुंचते हैं और प्रदूषण का कारण बनते हैं। शोध में वैज्ञानिकों ने जल स्रोतों की तलछट में पाए जाने वाले कई सूक्ष्म रेशों का परीक्षण किया ताकि पता चल सके कि वे जीन से सूक्ष्म कण हैं।

अमेरिका और कनाडा के कई हिस्सों में कई छोटी बड़ी झीलों की तलछट में डेनिम माइक्रोफाइबर का प्रदूषण पाया गया। चूंकि दुनिया में कई लोग जीन पहने हुए हैं, इसलिए शोधकर्ताओं ने इस प्रदूषण को जीन से जोड़कर शोध किया और यह भी पता चला कि सिंथेटिक डि का इस्तेमाल जीन के लिए किया जाता है। सिंथेटिक कोई प्राकृतिक पदार्थ नहीं है और जींस बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कुछ पदार्थ भी विषैले होते हैं।

कितना खतरनाक है ये प्रदूषण?

ये फाइबर एएसएल में माइक्रो प्लास्टिक होते हैं, जिनमें पर्यावरण के लिए हानिकारक रसायन होते हैं। वैज्ञानिकों को नहीं पता कि प्लास्टिक के कण मनुष्यों के स्वास्थ्य को कैसे खतरे में डालते हैं । लेकिन कुछ लोगों के बारे में पता चला है क्योंकि पॉलीविनाइल क्लोराइड कैंसर का कारण बन सकता है, कुछ रसायन हार्मोन में गड़बड़ी का कारण बनते हैं।

इस स्टडी का कहना यही है कि माइक्रोप्लास्टिक को लेकर सतर्क रहना ज़रूरी है. प्राकृतिक माइक्रो फाइबर वाले डेनिम में भी चूंकि केमिकल हैं इसलिए इसे लेकर भी चिंता की जाना चाहिए. एक बात और समझना चाहिए कि वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में 83 से लेकर 99 फीसदी तक इस तरह के माइक्रो प्लास्टिक को ट्रीट कर दिया जाता है. तो फिर क्यों इसे लेकर चिंता है?

चिंता के पीछे है गणित!

एक बार जींस वॉश में 50,000 माइक्रो फाइबर ्स का उत्पादन करती है तो एक सेंट जिसका इलाज नहीं होता, वह भी 500 फाइबर होता है। यह संख्या भी कम नहीं है। यह एक दो जींस का गणित है। अगर आप जींस की एक जोड़ी से 500 फाइबर ट्रीट नहीं करवा पा रहे हैं तो अब अनुमान लगाते हैं कि दुनिया की आधी आबादी जींस पहनकर हर बार पानी में कितने फाइबर लगा रही है!

सही फैशन को लेकर होशियार बनें

'हाउ डेयर यू', अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ ही दुनिया के बड़े नेताओं से यह सवाल पूछकर चर्चा में आई पर्यावरण प्रेमी टीनेजर Greta Thunberg जीन्स पहने हुए न के बराबर दिखती हैं. 2019 में पर्यावरण को लेकर ग्रेटा की चर्चा के बाद आपको पता है कि स्वीडन में फैशन वीक के कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था और इको फ्रेंडली फैशन को बढ़ावा दिए जाने की वकालत हुई थी.

यही नहीं, 2019 से पूरी फैशन इंडस्ट्री पर्यावरण को लेकर चिंता कर रही है. फैशन के 150 ब्रांडों को चलन में लाने वाली 32 कंपनियों ने जी7 सम्मेलन में फैशन पैक्ट किया और 2050 तक ग्रीनहाउस गैस एमिशन को ज़ीरो करने के लिए वर्जिन प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह से बैन करने का वादा किया.

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